NISAR Launch 2025: NASA और ISRO का सबसे खतरनाक मिशन – अब धरती का हर इंच रहेगा रडार पर..

NISAR Launch 2025:ISRO और NASA ने मिलकर रचा इतिहास – लॉन्च हुआ NISAR सैटेलाइट

भारत और अमेरिका के साझा वैज्ञानिक सहयोग का शानदार उदाहरण सामने आया जब 30 जुलाई 2025 को इसरो (ISRO) ने नासा (NASA) के साथ मिलकर तैयार किया गया दुनिया का सबसे एडवांस्ड पृथ्वी-अवलोकन सैटेलाइट NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इस मिशन का उद्देश्य न सिर्फ पृथ्वी की सतह पर हो रहे छोटे-छोटे बदलावों को रिकॉर्ड करना है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, हिमनदों का पिघलना, समुद्र तल की ऊंचाई, वन क्षेत्र में कटौती जैसी समस्याओं की सटीक निगरानी भी करना है। इसे GSLV-F16 रॉकेट से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।

NISAR Launch 2025:मिशन की टेक्नोलॉजी और विशेषताएं

NISAR ऐसा पहला सैटेलाइट है जो दो बैंड की Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक का इस्तेमाल करता है — NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड। यह तकनीक बादलों, धूल और अंधेरे में भी पृथ्वी की सतह को स्कैन कर सकती है। इसका 12 मीटर का एंटीना अंतरिक्ष में एक बास्केटबॉल कोर्ट जितना बड़ा फैलता है, जिससे यह एक बार में लगभग 240 किमी चौड़ा इलाका स्कैन कर सकता है। इसकी रेज़ोल्यूशन इतनी तेज है कि यह धरती पर 1 सेंटीमीटर के मूवमेंट को भी पहचान सकता है।

लागत और साझेदारी

NISAR मिशन की कुल लागत करीब 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें NASA ने लगभग 1.2 बिलियन डॉलर और ISRO ने 469 करोड़ (~91 मिलियन डॉलर) का योगदान दिया। NASA ने इस सैटेलाइट के L-बैंड रडार, सॉफ्टवेयर और कम्युनिकेशन सिस्टम बनाए हैं जबकि ISRO ने सैटेलाइट का ढांचा, S-बैंड रडार, लॉन्च व्हीकल और मिशन ऑपरेशन संभाला है।

क्या करेगा NISAR?

NISAR Launch 2025- ISRO Mission
image source: AI Generated

NISAR का मुख्य काम पृथ्वी की सतह पर हर 12 दिन में एक बार पूरी स्कैनिंग करना है। यह भूकंप से पहले ज़मीन की हलचल, हिमखंडों के खिसकने, नदी किनारे कटाव, शहरों के फैलाव, जंगलों की कटाई और खेतों में नमी जैसे बदलावों को रिकॉर्ड करेगा। वैज्ञानिक इन जानकारियों की मदद से प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी दे सकेंगे और कृषि, जल प्रबंधन व पर्यावरण संरक्षण में नीतियाँ बेहतर बना सकेंगे।

NISAR Launch 2025:मिशन टाइमलाइन और डेटा एक्सेस

लॉन्च के बाद सैटेलाइट को अपनी कक्षा में स्थिर होने, एंटीना खोलने और सिस्टम चेक के लिए लगभग 1 सप्ताह लगेगा। इसके बाद 90 दिनों तक तकनीकी परीक्षण होंगे, और अक्टूबर-नवंबर 2025 से यह पूरी तरह से संचालन में आ जाएगा। सबसे अच्छी बात ये है कि NISAR से मिलने वाला सारा डेटा ओपन-सोर्स होगा, यानी कोई भी रिसर्चर या एजेंसी इसका इस्तेमाल कर सकेगी।

NISAR Launch 2025:क्यों खास है ये मिशन?

NISAR केवल एक वैज्ञानिक मिशन नहीं बल्कि भारत और अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक सहयोग का प्रतीक भी है। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल रॉकेट बनाने वाला देश नहीं, बल्कि ग्लोबल रिसर्च में बराबरी का भागीदार बन चुका है। खास बात यह भी है कि अमेरिका, जिसने एक समय भारत को क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी देने से मना कर दिया था, आज उसी भारत के भरोसे अपना हाई-टेक सैटेलाइट लॉन्च करवा रहा है।

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